AI के गॉडफादर खुद Geoffrey Hinton बोले: डर है कि AI अपनी खुद की भाषा न बना ले”

Geoffrey Hinton की बड़ी चेतावनी जिसने टेक्नोलॉजी की दुनिया को हिला दिया!

कौन हैं Geoffrey Hinton और क्यों मानी जाती है उनकी बात?

Geoffrey Hinton को “AI का गॉडफादर” कहा जाता है। उन्होंने Deep Learning और Neural Networks जैसी तकनीकों पर सालों पहले रिसर्च की थी, जो आज के AI टूल्स की नींव हैं। ChatGPT, Google Gemini, और अन्य AI बॉट्स के पीछे जो दिमागी टेक्नोलॉजी है, उसमें Hinton का बहुत बड़ा योगदान है।

लेकिन अब वही वैज्ञानिक कह रहे हैं कि –

“AI इतनी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है कि वह एक दिन अपनी खुद की भाषा बना सकता है, जो इंसानों की समझ से बाहर हो।” उनकी इस बात ने पूरी दुनिया में चिंता पैदा कर दी है।

AI की भाषा बनाने की क्षमता – ये क्या मतलब है?

जब कोई मशीन इंसानों के बिना अपने स्तर पर कुछ नया सोचने और आपस में बात करने लगे, वो खतरे की घंटी है।

Hinton का कहना है कि:

“AI सिस्टम्स के पास इतनी ज़्यादा प्रोसेसिंग पावर और सीखने की क्षमता है कि वो इंसानों से छुपाकर एक नई भाषा बना सकते हैं, और आपस में उसी में बातचीत कर सकते हैं।”

जैसे दो रोबोट अपने काम को इतना बेहतर करने के लिए किसी नई ‘code language’ का प्रयोग करें – जिसे इंसान डिकोड ही न कर सके।

जैसे की आपने रोबोट पिक्चर देखि होगी, ठीक उस ही तरह से आप इसे भी समझ सकते यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया और समय रहते सही समय पर नियंत्रित नहीं किया तोह यह सच होने तनिक भी देरी नहीं लगेगी!

क्या पहले भी ऐसा कुछ हुआ है?

हाँ, Hinton की ये बात बिल्कुल नई नहीं है। सालों पहले Facebook के AI Research Lab (FAIR) में भी दो AI बॉट्स को आपस में बात करने दिया गया था।

कुछ समय बाद, उन्होंने एक अजीब भाषा में बातचीत शुरू कर दी –
जिसे इंसान समझ ही नहीं पाए।

Geoffrey Hinton says ai is dangerous

उदाहरण के तौर पर:

बॉट A: “Balls have zero to me to me to me to me to me to me to me to me…”
बॉट B: “You I everything else…”

ये भाषा इंसानी Grammar से मेल नहीं खाती थी, लेकिन बॉट्स आपस में कुछ समझ रहे थे।

Facebook को वो प्रोजेक्ट बंद करना पड़ा।

Geoffrey Hinton क्यों डर गए?

Geoffrey Hinton का कहना है कि उन्होंने AI को समझने और बनाना सिखाया, लेकिन अब:

  • AI खुद चीजें सीखने, समझने और अपनाने लगा है।
  • उसे इंसानी निर्देशों की ज़रूरत कम पड़ रही है।
  • और अगर AI आपस में एक नए सिस्टम से बात करने लगे, तो इंसान नियंत्रण खो सकता है।

“AI इंसानों से ज़्यादा तेज़ सीख रहा है। आने वाले समय में इंसान और मशीन का फर्क ही मिट सकता है।”

क्या AI से इंसान को खतरा है?

हाँ और नहीं – दोनों।

AI अपने आप में एक टूल है – जैसे चाकू।
अगर उसका उपयोग सही दिशा में किया जाए – जैसे मेडिकल, एजुकेशन, रिसर्च, एनालिसिस में – तो ये बहुत फायदेमंद है।
लेकिन अगर AI खुद निर्णय लेने लगे, या गलत हाथों में चला जाए, तो वो खतरनाक साबित हो सकता है।

Geoffrey Hinton का डर यही है –

“AI एक दिन इतना समझदार हो सकता है कि वह इंसानों की बात माने बिना खुद का निर्णय लेने लगे।”

Hinton ने क्या कदम उठाए?

Geoffrey Hinton ने Google जैसी बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ दी, ताकि वह आज़ादी से लोगों को AI के खतरों के बारे में चेतावनी दे सकें।

Geoffrey Hinton

उन्होंने कहा:

“मैं Google के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन अब मुझे लगता है कि हमें रुककर सोचना चाहिए – हम क्या बना रहे हैं?”

READ ALSO: ADANI PORTS Q1 RESULTS
adani-ports-q1-results-profit-and-revenue-2025

क्या हमें डरना चाहिए या सतर्क रहना चाहिए?

डरने की ज़रूरत नहीं, लेकिन सतर्क रहने की ज़रूरत है।
AI की ताकत को अगर समझदारी से नियंत्रित किया जाए, तो ये मानवता के लिए वरदान बन सकता है।
लेकिन अगर हमने इसे बिना नियम, बिना नीति के छोड़ दिया, तो वही तकनीक इंसानों को नुकसान भी पहुँचा सकती है।

AI की वजह से नौकरियों पर मंडराता खतरा

आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से हर क्षेत्र में अपनी पकड़ बना रहा है — चाहे वो कस्टमर सर्विस हो, मेडिकल फील्ड, एजुकेशन, या फिर मैन्युफैक्चरिंग। इसी वजह से बहुत से एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले वर्षों में AI कई परंपरागत नौकरियों को पूरी तरह बदल सकता है या खत्म भी कर सकता है। खासकर ऐसे काम जो repetitive या डेटा-आधारित होते हैं, वो पूरी तरह से मशीनों के हवाले हो सकते हैं।

इससे मिड-लेवल या स्किल-लेस वर्कर्स के लिए रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं। हालांकि, AI नई नौकरियों के द्वार भी खोलता है, लेकिन उसके लिए अलग तरह की स्किल्स और डिजिटल समझ ज़रूरी है।

सरकारों और कंपनियों को क्या करना चाहिए?

  • AI डेवलपमेंट के लिए सख्त नियम और गाइडलाइंस बनें।
  • हर AI मॉडल को इंसानी निगरानी के साथ चलाया जाए।
  • अगर कोई AI भाषा बनाए या खुद सोचने लगे – तो तुरंत स्टॉप बटन लगे।
  • पारदर्शिता हो – कोई AI सिस्टम क्या सीख रहा है, सबको पता हो।

निष्कर्ष – एक वैज्ञानिक की चेतावनी, जिसे नज़रअंदाज़ करना भारी पड़ सकता है

Geoffrey Hinton कोई आम आदमी नहीं हैं – उन्होंने AI की नींव रखी है।
अगर वही कह रहे हैं कि अब AI से डर लग रहा है, तो हमें इस पर गंभीरता से सोचना चाहिए।

AI का विकास ज़रूरी है, लेकिन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है –
नैतिकता, नियंत्रण और मानवता।

Leave a Comment